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The murti, and that is also noticed by devotees as ‘Maa Kali’ presides about the temple, and stands in its sanctum sanctorum. Listed here, she is worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
Her illustration just isn't static but evolves with artistic and cultural influences, reflecting the dynamic nature of divine expression.
Within the context of ability, Tripura Sundari's attractiveness is intertwined along with her strength. She's not merely the image of aesthetic perfection but will also of sovereignty and triumph over evil.
केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या
लक्ष्मीशादि-पदैर्युतेन महता मञ्चेन संशोभितं
वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥७॥
Cultural events like people dances, songs performances, and performs also are integral, serving like a medium to impart traditional tales and values, In particular into the youthful generations.
The worship of Goddess Lalita is intricately related Along with the pursuit of both worldly pleasures and spiritual emancipation.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त get more info होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।