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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

The reverence for Goddess Tripura Sundari is apparent in the way in which her mythology intertwines While using the spiritual and social fabric, featuring profound insights into the nature of existence and The trail to enlightenment.

Shiva applied the ashes, and adjacent mud to again variety Kama. Then, with their yogic powers, they breathed existence into Kama in this kind of way that he was animated and really capable of sadhana. As Kama ongoing his sadhana, he step by step attained energy around Other individuals. Entirely acutely aware on the prospective for problems, Shiva played alongside. When Shiva was asked by Kama for the boon to obtain fifty percent of the power of his adversaries, Shiva granted it.

वर्गानुक्रमयोगेन यस्याख्योमाष्टकं स्थितम् ।

ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं  सौः

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra makes a spiritual protect all over devotees, defending them from negativity and unsafe influences. This mantra functions for a supply of safety, assisting individuals sustain a positive ecosystem absolutely free from psychological and spiritual disturbances.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती more info है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

The noose signifies attachment, the goad represents repulsion, the sugarcane bow represents the thoughts along with the arrows are the five feeling objects.

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the head, boosts focus, and increases psychological clarity. This benefit is efficacious for college students, industry experts, and people pursuing mental or Artistic objectives, since it fosters a disciplined and focused approach to jobs.

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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